मैं तो एक कच्चा घरोंदा हूं भरी बरसात मैं
कौन मेरा साथ देगा इस अंधेरी रात मैं
दिल से मौजे दर्द उठे भी तो रो सकता नहीं
दर्द की दीवार हाईल है मेरे जज़बात मैं
काटता जाता रहूं बनते जाते हैं हिसार
मैं बे ई जहदे मुसलसल क़ैद हूं हालात मैं
तुम सिरिशते ग़म कहो उसको के सोज़े आगाही
हम दुखों की बात करते हैं ख़ुशी की बात में
- सैफ़ ज़ुल्फ़ी
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मौजे दर्द - दर्द की लहर
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महफ़िल में आपका इस्तक़बाल है।