जब किसी से कोई गिला रखना
सामने अपने आईना रखना
यूं उजालों से वास्ता रखना
शम्मा के पास ही हवा रखना
घर की तामीर चाहे जैसी हो
इसमें रोने की कुछ जगह रखना
मस्जिदें हैं नमाज़ियों के लिये
अपने घर में भी कहीं ख़ुदा रखना
- निदा फाज़ली
शुक्रिया आप सब का जिन्होंने मेरी होसला-अफज़ाई की ब्लाग पर आये, और अपनी राय ज़ाहिर की मैं चाहता हूं कि आप तक मैं जाने अन्जाने मशहूर और गुमनाम शायरों की बेहतरीन और लाजवाब शायरी पहुचाऊं, इसलिए मैं आप तक लाजवाब ग़ज़लों को पहुंचा रहा हूं जो आप के दिल की ज़बां बने, और अगर मैं आप तक ऎसे कुछ लफ्ज़ पहुंचा पाया जो आप को ज़िन्दगी भर याद रहें तो मैं अपनी कोशिश को कामयाब समझूंगा ।
आपका : A.U.SIDDIQUI
© 2009महफ़िल ए आदाब | by TNB
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महफ़िल में आपका इस्तक़बाल है।