Saturday, November 21, 2009

हमने जुनूने इश्क में

हमने जुनूने इश्क में क्या क्या नहीं सहा

हर एक सितम सहा न कभी बे-वफा कहा



ता - उम्र तेरे साथ चले बनके हमसफर

फिर भी हर एक क़दम पर कुछ फासला रहा



तेरे सिवा किसी से मुझे वास्ता न था

मेरे सिवा सभी से तेरा वास्ता रहा



जिसका हुआ कभी तुझे एहसास तक नहीं

हमने वो दर्दे ज़िन्दगी बे - इन्तहा सहा



ऎ दोस्त तेरे दिल की कसक जानता हूं मैं

अगर मैं नहीं तो चैन से तू भी नहीं रहा



- साज़

4 comments:

Science Bloggers Association said...

आपके ब्लॉग का लेआउट बहुत शानदार लगा। और हाँ, गजल तो सुंदर है ही।
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सिर पर मंडराता अंतरिक्ष युद्ध का खतरा।
परी कथाओं जैसा है इंटरनेट का यह सफर।

अजय कुमार said...

ऎ दोस्त तेरे दिल की कसक जानता हूं मैं
अगर मैं नहीं तो चैन से तू भी नहीं रहा
बहुत खूब, क्या बात है

अजय कुमार said...

कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये
वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:

डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?> इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..
बस हो गया..कितना सरल है न हटाना और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये!!.

मनोज कुमार said...

रचना बहुत अच्छी लगी।

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महफ़िल में आपका इस्तक़बाल है।