हमने जुनूने इश्क में क्या क्या नहीं सहा
हर एक सितम सहा न कभी बे-वफा कहा
ता - उम्र तेरे साथ चले बनके हमसफर
ता - उम्र तेरे साथ चले बनके हमसफर
फिर भी हर एक क़दम पर कुछ फासला रहा
तेरे सिवा किसी से मुझे वास्ता न था
मेरे सिवा सभी से तेरा वास्ता रहा
जिसका हुआ कभी तुझे एहसास तक नहीं
हमने वो दर्दे ज़िन्दगी बे - इन्तहा सहा
ऎ दोस्त तेरे दिल की कसक जानता हूं मैं
अगर मैं नहीं तो चैन से तू भी नहीं रहा
- साज़
4 comments:
आपके ब्लॉग का लेआउट बहुत शानदार लगा। और हाँ, गजल तो सुंदर है ही।
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सिर पर मंडराता अंतरिक्ष युद्ध का खतरा।
परी कथाओं जैसा है इंटरनेट का यह सफर।
ऎ दोस्त तेरे दिल की कसक जानता हूं मैं
अगर मैं नहीं तो चैन से तू भी नहीं रहा
बहुत खूब, क्या बात है
कृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये
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बस हो गया..कितना सरल है न हटाना और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये!!.
रचना बहुत अच्छी लगी।
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महफ़िल में आपका इस्तक़बाल है।